कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥ हाथो में त्रिशूल लिए है गले में है सर्पो की माला देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ तुरत https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
The Shiv chalisa in hindi Diaries
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